Matlabi Logo Ke Liye Shayari – 300+ Matlabi Shayari

In life, we meet many people, but not all are true friends. Some are selfish and only care about their own benefit. If you have ever faced such fake friends or selfish relationships, then this Matlabi Logo Ke Liye Shayari collection will help you express your feelings. These words describe the pain of fake friendships, betrayal in relationships, and the reality of this matlabi duniya.

Friendship should be pure, just like the love expressed in different cultures. Some people find beauty in words, just like those who enjoy heartfelt poetry. If you like emotional poetry, you may also love reading about deep emotions in beautifully written lines. And if loneliness hurts, then you might relate to the feelings of being alone that many express through poetry.

Through this Matlabi Logo Ke Liye Shayari you can share your emotions and let people know the pain of betrayal. Whether it’s about a fake friend or a selfish person, these shayari lines will help you speak your heart.

Matlabi Logo Ke Liye Shayari

Matlabi Logo Ke Liye Shayari

ए ज़िंदगी जला दिया हमने वो दिल
जिसमें मतलबी लोग बसा करते थे

मतलबी लोग खड़े हैं हाथ में पत्थर लेकर
मैं कहाँ तक भागूं शीशे का मुकद्दर लेकर

मतलबी ज़माना है, नफ़रतों का क़हर है
ये दुनिया दिखाती शहद है और पिलाती ज़हर है

मतलबी लोग मिलेंगे तुम्हें जब राहों में ए दोस्त
फिर जो मुखलिस कोई ढूंढोगे तो याद आऊँगा

मैं मतलबी नहीं हूँ साहब
बस दूर हो गया हूँ उन लोगों से
जिनको मेरी क़द्र नहीं

मुखलिस हैं तो मुख्तसर हैं मुर्शिद
मतलबी होते तो हुजूम होता

काम आए ना मुश्किल में कोई यहाँ
मतलबी दोस्त हैं, मतलबी यार हैं

मतलबी बनाता हूँ तो ज़मीर देता है ताने
मुखलिस होता हूँ तो ज़माना जीने नहीं देता

हम मतलबी नहीं कि चाहने वालों को धोखा दें
बस हमें समझना हर किसी के बस की बात नहीं

दुनिया बहुत मतलबी है, साथ कोई क्यों देगा
मुफ्त में यहाँ कफ़न नहीं मिलता, तो बग़ैर ग़म की मोहब्बत कौन देगा

ख़फ़ा नहीं हूँ मैं किसी से, बस दिल भर गया है
झूठी दुनिया से और मतलबी लोगों से

वक़्त गुज़र जाने के बाद एहसास होता है
कि तन्हाई बेहतर थी मतलबी लोगों से

दौर-ए-जदीद की सबसे घटिया इजाद
आर्ज़ी ताल्लुक़ात और मतलबी रिश्ते

Matlabi logo ke liye shayari in english

Matlabi logo ke liye shayari in english

Ye matlab ki duniya hai, yahan sunta nahi fariyaad koi
Hanste hain sab log jab hota hai barbaad koi

Matlab ke hain yaar, dilon ke kale hain
Mauka milte hi sab dasne wale hain

Ki jin ke sapne hum dekhte hain, wo bhi sapna dekhte hain
Aur chahe koi kitna bhi apna ho, pehle apna dekhte hain

Khudgarz log
Rishton ko nibhate kam hain aur aazmate zyada hain

Un logon ko rishte bachane se koi matlab nahi hota
Jinko apne matlab se matlab hota hai

Waqt aapko bata deta hai
Ki log kya the aur aap kya samajhte the

Kuch log bhi bade hi ajeeb hote hain
Unko jitna bhi apna samajh lo, wo hamesha logon ke hi rehte hain

Jitna zyada sochoge, utni zyada aziyat mein rahoge
Ya to apne aap ko mazboot kar lo, ya logon se door kar lo

Waqt, mausam aur log – sabki ek si fitrat hoti hai
Kab, kaun, kahan badal jaye, pata hi nahi chalta

Kuch log doston ki tarah nazar aate hain
Jaise bhediye kutto ki tarah

Hum matlabi nahi ki chahne walon ko dhokha dein
Bas humein samajhna har kisi ke bas ki baat nahi

Duniya bahut matlabi hai, saath koi kyun dega
Muft mein yahan kafan nahi milta, to bagair gham ki mohabbat kaun dega

Khafa nahi hoon main kisi se, bas dil bhar gaya hai
Jhoothi duniya se aur matlabi logon se

Waqt guzar jaane ke baad ehsaas hota hai
Ki tanhai behtar thi matlabi logon se

Daur-e-jadeed ki sabse ghatiya ijaad
Aarzi talluqaat aur matlabi rishte

Matlabi Shayari​

Matlabi Shayari​

ये मतलब की दुनिया है, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई
हँसते हैं सब लोग जब होता है बर्बाद कोई

मतलब के हैं यार, दिलों के काले हैं
मौक़ा मिलते ही सब डसने वाले हैं

कि जिनके सपने हम देखते हैं, वो भी सपना देखते हैं
और चाहे कोई कितना भी अपना हो, पहले अपना देखते हैं

ख़ुदगर्ज़ लोग
रिश्तों को निभाते कम हैं और आज़माते ज़्यादा हैं

उन लोगों को रिश्ते बचाने से कोई मतलब नहीं होता
जिनको अपने मतलब से मतलब होता है

वक़्त आपको बता देता है
कि लोग क्या थे और आप क्या समझते थे

कुछ लोग भी बड़े ही अजीब होते हैं
उनको जितना भी अपना समझ लो, वो हमेशा लोगों के ही रहते हैं

जितना ज़्यादा सोचोगे, उतनी ज़्यादा अज़ीयत में रहोगे
या तो अपने आपको मज़बूत कर लो, या लोगों से दूर कर लो

वक़्त, मौसम और लोग – सबकी एक सी फ़ितरत होती है
कब, कौन, कहाँ बदल जाए, पता ही नहीं चलता

कुछ लोग दोस्तों की तरह नज़र आते हैं
जैसे भेड़िए कुत्तों की तरह

मेरे मतलब का शख़्स था वो
अफ़सोस कि वो भी मतलबी निकला

मुद्दत के बाद दस्तक हुई
लगता है कोई मतलबी होगा

मतलबी लोग मिलेंगे तुम्हें जब राहों में ऐ दोस्त
फिर जो मुख़लिस कोई ढूंढोगे तो याद आऊंगा

कहाँ वफ़ा मिलती है इन मिट्टी के हसीन इंसानों से
ये लोग बिना मतलब खुदा को भी याद नहीं करते

ऐ ज़िंदगी जला दिया हमने वो दिल
जिसमें मतलबी लोग बसा करते थे

मतलबी ज़माना है, नफ़रतों का क़हर है
ये दुनिया दिखाती शहद है और पिलाती ज़हर है

काम आए ना मुश्किल में कोई यहाँ
मतलबी दोस्त हैं, मतलबी यार हैं

मतलबी बनता हूँ तो ज़मीर देता है ताने
मुख़लिस होता हूँ तो ज़माना जीने नहीं देता

Best Matlabi Log Shayari

Best Matlabi Log Shayari

लोग महफ़िलों को बदनाम करते हैं
जबकि नफ़रत दिलों में दबी होती है

तुम लोग ज़ुबान दे के भी फिर जाते हो अकसर
हम लोग निभा देते हैं बे कौल-ओ-कसम भी

बार-बार होती है और बार-बार करते हैं
लोग अब मोहब्बत का कारोबार करते हैं

सुख बराबर का हो तो बाँटते हैं लोग
ग़म के छोड़े हुए को ये सहूलत नहीं

उठ के मैं तेरे पहलू से जाऊँ तो जाऊँ कैसे
मुन्तज़िर बैठे हैं यहाँ बहुत से लोग जगह पाने को

एक दिन तुझे कोई और भला लगने लगेगा
हम लोग कहाँ तक तुझे दरकार रहेंगे

ये मतलब की दुनिया है, यहाँ सुनता नहीं फ़रियाद कोई
हँसते हैं सब लोग जब होता है बर्बाद कोई

मतलबी दुनिया के लोग खड़े हैं हाथों में पत्थर लेकर
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे के मुक़द्दर लेकर

अदा मतलब, निगाह मतलब, ज़ुबान मतलब, बयान मतलब
बता मतलब कहाँ जाऊँ, जहाँ जाऊँ वहाँ मतलब

ताल्लुक़ और ज़र्फ़ का पता
ताल्लुक़ बिगड़ने पर पता चलता है

हम तो समझे थे कि एक ज़ख़्म है भर जाएगा
क्या ख़बर थी कि रग-ओ-जाँ में उतर जाएगा

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया उस ने
बात तो सच है मगर बात है रूसवाई की

मुद्दतों बाद उस ने आज मुझ से गिला किया
मंसब-ए-दिलबरी पे क्या मुझ को बहल कर दिया

अब किस से कहें और कौन सुने जो हाल तुम्हारे बाद हुआ
इस दिल की झील सी आँखों में एक ख़्वाब बहुत बर्बाद हुआ

मेरी तलब था एक शख़्स, वो जो मिला नहीं तो फिर
हाथ दुआ से यूँ गिरा, भूल गया सवाल भी

तेरी यादों में खो जाना है
ये मतलबी लोग समझ नहीं सकते

Heart touching matlabi duniya shayari

Heart touching matlabi duniya shayari

काले दिल, घटिया सोच
सस्ते शौक़, मुनाफ़िक़ लोग

मतलबी दुनिया के लोग खड़े हैं हाथों में पत्थर लेकर
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुक़द्दर लेकर

कि हर शख़्स कर रहा है इस दौर में ख़ुदगर्ज़ी,
हम अना-परस्त लोग कहाँ जाएँ अपनी सादगी लेकर

ख़ुदा हाफ़िज़ ऐ याद-ए-जाँ, तेरी जान छोड़ दी हमने
लिखकर आज ख़ुद को बेवफ़ा, क़लम तोड़ दी हमने

कि अब थक चुके हम ख़ुद को दुरुस्त साबित करते-करते
अब जो हमें ग़लत कह दे, तो हम ख़ुद को ग़लत मान लेते हैं

मुद्दत के बाद दस्तक हुई
लगता है कोई मतलबी होगा

कि अरसे से हम दुनिया से किनारा कर चुके
कि एक बार फिर से कोई क़रीब आ रहा है, छोड़ो ख़ैर, मुनाफ़िक़ ही होगा

ख़ामोशी की आदत रखने वाले
अक्सर धड़कनों के शोर में गुम हो जाते हैं

कि अब फ़िक्र नहीं मुझे किसी दर्द-ओ-ग़म की
कि अब हर सितम के बरअक्स मैं सिर्फ़ ख़ामोश रहा करता हूँ

सब एक जैसे होते हैं बस
उनके डसने का तरीक़ा अलग होता है

कि यारों हर शख़्स मुख़लिस होता है
और फिर इस ग़लतफ़हमी ने मुझे बर्बाद कर दिया

साथ रहते हैं मेरे सब मगर मतलब की हद तक
कहीं थक जाऊं तो तन्हा, कहीं रुक जाऊं तो तन्हा

कि आग़ाज़-ए-सफ़र में बहुत भीड़ थी मेरे यारों की
कि इंतिहा-ए-सफ़र में सब यार बदल चुके मेरा साथ निभाने वाले

गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
और इंसान मौक़ा देखकर

दौर-ए-हाज़िर में हर शख़्स ख़ुदगर्ज़ी से जी रहा है
कि आफ़त-ओ-ग़म में बिछड़ जाते हैं अब अक्सर साथ निभाने वाले

ऐ ज़िंदगी जला दिया हमने वो दिल
जिसमें मतलबी लोग बसा करते थे

कि मैं ज़िंदगी से किनारा कर चुका, हाँ ठीक सुना आपने
अब तलब मौत की रहा करती है

Matlabi Log Shayari In Hindi

जिन्हें अपना समझा, वही पराए निकले,
मतलबी रिश्ते हर मोड़ पे धोखा दे गए।

दिल से निभाई थी हमने दोस्ती की रस्में,
उन्होंने मतलबी होकर तोड़ा भरोसे के कसमें।

रिश्ता वही अच्छा जो सच्चाई का द्वार हो,
मतलबी लोगों के साथ हर दिन एक नई हार हो।

मतलबी दुनिया में, विश्वास का मोल नहीं,
धोखा देना यहाँ तो एक छोटा सा खेल नहीं।

जिन लोगों को हमने दिल के करीब रखा,
उन्होंने धोखेबाजी से रिश्ते को तोड़ रखा।

मतलबी रिश्ते तो हवा के झोंके हैं,
ज़रूरत खत्म, तो सब सपने धोखे हैं।

जो समझे थे अपना, उन्होंने ज़ख्म दिए हैं,
मतलबी रिश्ते का रंग बस धोखा दिए हैं।

ज़िंदगी की किताब में मतलबी लोग मिलते हैं,
पर हर सफर में बस धोखे के सिलसिले चलते हैं।

मतलबी रिश्तों का यह कैसा खेल है,
दिल जहाँ तोड़ दिया, वहाँ सब ठीक है।

जो रिश्ते कभी दिल के करीब थे,
आज उनका मतलबी चेहरा नसीब थे।

रिश्ते मतलबी होते चले गए,
सच्चाई के बदले धोखे मिले गए।

दिल लगाने वाले तो बेशुमार मिलते हैं,
पर वफादार रिश्ते अक्सर अधूरे रहते हैं।

मतलबी दुनिया के बीच, हम अकेले रह गए,
सच्चाई के बदले धोखा हर जगह पा गए।

रिश्ते मतलबी और धोखे की बात बन गए,
प्यार के लिए भी यहाँ स्वार्थ ज़रूरी बन गए।

धोखेबाज़ रिश्ते क्या समझेंगे दिल का हाल,
मतलबी लोगों के लिए सब कुछ है माल-ओ-धवाल।

जिस रिश्ते को समझा था ज़िंदगी का साथी,
वही निकले मतलबी, और बन गए धोखे के पाती।

दिल से निभाया जो रिश्ता, उसका यह सिला मिला,
धोखेबाज़ लोगों के हाथों सपना भी छीला।

मतलबी रिश्ते तो सिर्फ़ एक तमाशा हैं,
धोखेबाज़ी उनका असली चेहरा और वफ़ा एक दिखावा है।

rishte matlabi shayari

मतलबी रिश्ते, धोखे का सिलसिला हैं,
दिल लगाना यहाँ सिर्फ़ अपनी ख़ता है।

वक़्त बदलते ही चेहरे बदल जाते हैं,
मतलबी रिश्ते बस धोखा दे जाते हैं।

जिन्होंने प्यार के सपने दिखाए थे,
वही मतलबी होकर रिश्ते मिटाए थे।

धोखेबाज़ी के रिश्ते यहाँ आम हैं,
मतलबी लोगों के साथ बस तकरार हैं।

मतलबी लोगों के साथ दिल लगाना ही ग़लत था,
उन्होंने धोखा दिया, यह उनका ही फ़र्ज़ था।

रिश्ते मतलबी, भरोसे का कोई मोल नहीं,
दिल का लगाना बस एक बेकार खेल नहीं।

मतलबी रिश्तों का बस एक ही काम है,
ज़रूरत खत्म तो बस नाम का सलाम है।

धोखेबाज़ मतलबी रिश्ते दिल का खेल हैं,
आँसू देना ही इनका असली मकसद और मेल हैं।

मतलबी लोगों से भरोसा करना गलती बन गई,
रिश्ते निभाने की कोशिश सिर्फ़ धोखा बन गई।

भरोसे की दुनिया में मतलबी लोग छुप गए,
रिश्तों का सारा मोह एक धोखे में डूब गए।

दिल के रिश्तों में भरोसा ही था सब कुछ,
पर मतलबी लोगों के लिए यह सिर्फ़ एक खिलौना कुछ।

मतलबी लोग भरोसे का सौदा करते हैं,
रिश्तों को तोड़ कर खुद को सक्षम करते हैं।

जिसे समझा था अपना, उसने भरोसा तोड़ा,
मतलबी रिश्ते का चेहरा हर पल दि

खला दिया ख़ुदा।”भरोसा करके हमने ज़िंदगी उन्हें सौंप दी,
मतलबी लोगों ने धोखे की एक और दास्तान लिख दी।

रिश्ते और भरोसे का असर अब खत्म है,
मतलबी लोगों के साथ धोखा ही सनम है।

भरोसा टूटने का दर्द शायद कभी ना जाए,
मतलबी रिश्तों का धोखा हर दिल रुलाए।

Best Shayari Matlabi Logo k liye

प्यार की दुनिया में विश्वास के पल तोड़ गए,
मतलबी रिश्ते बनाकर दिल के अरमान छोड़ गए।

प्यार था सच्चा, पर रिश्ते मतलबी निकले,
दिल तोड़ कर वो अपनी मंज़िल के राहगीर निकले।

जिन्होंने वादा किया था साथ निभाने का,
वही धोखा दे गए प्यार के अफ़साने का।

मतलबी रिश्ते प्यार के नाम पे खिलवाड़ करते हैं,
धोखेबाज़ लोग मोहब्बत को मज़ाक समझते हैं।

प्यार में दिया सब कुछ, खुद को भुला दिया,
मतलबी रिश्तों ने सिर्फ़ धोखा ही दिखला दिया।

दिल का प्यार उनका मतलबी मकसद बन गया,
रिश्तों का ईमान एक खोखला धोखा बन गया।

जिसे हमने दिल से चाहा, वो मतलबी बन गए,
रिश्तों में धोखेबाज़ी के किस्से बन गए।

मतलबी प्यार के धोखे ने दिल के टुकड़े कर दिए,
वफ़ा के सपने हमने आँसुओं में भर दिए।

धोखेबाज़ रिश्ते क्या समझेंगे दिल का हाल,
मतलबी लोगों के लिए सब कुछ है माल-ओ-धवाल।

जिस रिश्ते को समझा था ज़िंदगी का साथी,
वही निकले मतलबी, और बन गए धोखे के पाती।

दिल से निभाया जो रिश्ता, उसका यह सिला मिला,
धोखेबाज़ लोगों के हाथों सपना भी छीला।

मतलबी रिश्ते तो सिर्फ़ एक तमाशा हैं,
धोखेबाज़ी उनका असली चेहरा और वफ़ा एक दिखावा है।

रिश्तों के धोखे का कोई हिसाब नहीं होता,
मतलबी लोगों के लिए प्यार एक मज़ाक होता।

धोखेबाज़ रिश्तों की यह दुनिया अजीब है,
यहाँ हर दिल के पीछे एक मतलबी तस्वीर है।

जिन्होंने दिल को अपना बनाया था,
धोखेबाज़ बनकर दिल से फँसाया था।

मतलबी रिश्तों की दुनिया में, सब कुछ बेकार है,
धोखेबाज़ी के पीछे छुपा एक छोटा संसार है।

Conclusion

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